नई दिल्ली, सितंबर 2025 – नार्वे की खाद्य दिग्गज यारा इंटरनेशनल इंडिया ने घोषणा की है कि उसके स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र इंपोर्ट्स 2025 में 25% की वृद्धि होगी। कंपनी का लक्ष्य सालाना 1.40 लाख टन तक पहुंचना है। यह बढ़त चीन के निर्यात प्रतिबंधों के बावजूद भारत के तेजी से बढ़ते बागवानी क्षेत्र के सहारे हो रही है।
2025 में 1 लाख टन से अधिक स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र आयात
जनवरी से सितंबर 2025 तक यारा इंडिया ने 1.00–1.20 लाख टन स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र का आयात किया। साल के अंत तक यह आंकड़ा 1.35–1.40 लाख टन होने की उम्मीद है।
यारा साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव कंवर ने कहा, “किसान अब फल और सब्जियों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। ये फसलें लाभकारी हैं और स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र की मांग को आगे बढ़ा रही हैं।”
चीन के निर्यात प्रतिबंध और चुनौतियाँ
सॉल्यूबल फर्टिलाइज़र इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार चीन ने अस्थायी निर्यात शुरू किया था, जिससे कुछ राहत मिली। लेकिन अगले महीने से सख्त निरीक्षण और डिलीवरी में देरी शुरू होगी, जिससे भारतीय बाजार प्रभावित होगा।
पहले यारा अपने 70–80% आयात चीन से करता था। COVID-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी चुनौतियों ने इस निर्भरता को जोखिम भरा बना दिया।
यारा इंटरनेशनल इंडिया स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र इंपोर्ट्स 2025: नार्वे और मध्य-पूर्व का योगदान
आज 70% आयात नार्वे से, विशेषकर कैल्शियम नाइट्रेट के रूप में आता है। बाकी आपूर्ति मध्य-पूर्व से होती है जिसमें सल्फेट ऑफ पोटाश और पोटैशियम नाइट्रेट्स शामिल हैं।
इस बदलाव से सप्लाई चेन लंबी हुई और वर्किंग कैपिटल बढ़ा, लेकिन भारतीय किसानों के लिए कीमतें स्थिर बनी रहीं।
संजीव कंवर ने कहा, “70% आपूर्ति हमारे नार्वे प्लांट से होती है और बाकी मध्य-पूर्व से आती है। इससे लागत भारत के किसानों पर नहीं पड़ती।”
गैर-सब्सिडी वाले फर्टिलाइज़र पर जोर
इस साल कंपनी 15–20% वृद्धि गैर-सब्सिडी वाले सेगमेंट में करना चाहती है। FY24 में कंपनी की भारत में कुल आय ₹5,342 करोड़ रही।
वैश्विक स्तर पर राजस्व घटकर USD 13.93 अरब हो गया है, फिर भी यारा का लक्ष्य है कि 2026 तक भारत का कारोबार तीन गुना हो।
वैश्विक चुनौतियाँ और EV बैटरी इंडस्ट्री
मोनो-अमोनियम फॉस्फेट (MAP) की कमी बनी हुई है क्योंकि इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी उत्पादन में बढ़ रहा है। फिर भी यारा ने वैकल्पिक स्रोतों से स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित की है।
मेक इन इंडिया की दिशा में कदम
यारा भारत में वाटर-सॉल्यूबल फर्टिलाइज़र उत्पादन शुरू नहीं करेगा, लेकिन माइक्रोन्यूट्रिएंट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पर विचार कर रहा है।
हालांकि, 4–5 साल का पंजीकरण समय निवेश में बड़ी बाधा बना हुआ है।
बाबराला यूरिया प्लांट पर कोई बड़ा विस्तार नहीं
उत्तर प्रदेश के बबराला यूरिया संयंत्र (1.3 मिलियन टन क्षमता) में विस्तार की योजना नहीं है। कंपनी केवल ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाने पर ध्यान देगी।
कंवर ने कहा, “स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र व्यवसाय इस साल 15–20% बढ़ेगा। इसके लिए हम किसानों से मिलने के लिए 40,000–50,000 बैठकें और 4,000–5,000 डेमो कर रहे हैं।”
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